हमारा क्या है
भेज दो कहीं
ले आयेंगे वहीँ से कुछ हीरे और जवाहरात
दुःख के सागर में उतरेंगे तो समेट लायेंगे
नमक का पहाड़
मछलियों की आँखों में छिपा दर्द
मन की सीपियों में भर लेंगे
श्वेत वैराग्य के मोती
हर्ष के चमकदार माणिक
ज्ञान के ललछाये मूँगे
एकांत के रेगिस्तान में भेज दो
ले आएंगे समूची रेत का इतिहास
उसकी वंश-परम्परा
ऊँट से उसका रिश्ता
और प्यास से उसका रोमांस
मृग-मरीचिका भर लायेंगे पलकों में
होठों पर लिख लाएंगे
रेत का स्वाद
भेज कर देखो
हमें कुंठा के घने जंगलों में
बीन लाएंगे
हर प्रजाति की अभिशप्त लकड़ियां
पेड़ों की अनकही कहानियां
उल्लुओं की दन्त कथाएं
शेरों के हरम के किस्से
मोरों की अठखेलियां
बंदरों की चुहलबाजियां
सियारों की कमबख्त आवाज़ें
ले आयेंगे किसी भी जंगल का नक्शा
हमारा क्या है
भेज दो हमें कहीं भी
आवाज़ के घर जाएंगे तो
शब्दों का शहद
सन्नाटे की चौखट से
वीरानगी का सूफ़ीपन
सन्तों की कुटिया से प्रेम
शराबियों के झुण्ड से
थोड़ी सी मस्ती
कसाई के घर से
ले आएंगे निस्पृह बर्बरता
कमीनों के साथ बिठा दो
चुन लेंगे उनकी शातिर निगाहें
हमारे हाथों में कलम है
और सीने में कवि का कलेजा
कहीं भेज कर हमें देखो तो
एक बार